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समान नागरिक संहिता पर 21वें विधि आयोग की नकारात्मकता और आगे की राह

सलमान खुर्शीद और कांग्रेस पार्टी ने सवाल किया है कि 21वें विधि आयोग की रिपोर्ट (2018) के बाद 22वां विधि आयोग, समान नागरिक संहिता पर क्यों विचार कर रहा है? इसका जवाब जानने के लिए यह पुस्तिका सार्वजनिक किया जा रहा है। 

मौलाना मदनी जी से समान नागरिक संहिता पर पूछे गए उन 13 सीधे सवालों को भी सार्वजनिक किया जा रहा है, जिनका जवाब आज तक नहीं दिया जा सका है।

लोक सर्वोदय फाउण्डेशन की कार्यकारी इकाई राष्ट्रीय स्वराज परिषद्, हमेशा समान नागरिक संहिता के पक्ष में आवाज उठाता रहा है। इसके लिए वह 'मिशन अनुच्छेद 44: एक राष्ट्र, एक सिविल कानून' नाम से अभियान चला रहा है।

इसी क्रम में 21वें विधि आयोग द्वारा समान नागरिक संहिता के खिलाफ दिए गए संस्तुति को लेकर यह पुस्तिका 2019 में प्रकाशित किया गया। यह पुस्तिका 21वें विधि आयोग के रिपोर्ट की तथ्यपरक विवेचना करता है और विधि आयोग के इस विचार कि वर्तमान में समान नागरिक संहिता अप्रासंगिक है, को गलत सिद्ध करता है। इस पुस्तक का विमोचन श्री केशरी नाथ त्रिपाठी, पूर्व राज्यपाल, पश्चिम बंगाल; न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सेमिनार कक्ष में 26 सितंबर 2019 को किया गया था।

मिशन अनुच्छेद 44 द्वारा 21वें विधि आयोग के रिपोर्ट के खिलाफ प्रधानमंत्री के समक्ष प्रत्यावेदन दिनांक 17 सितंबर 2019 प्रस्तुत किया गया और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल किया गया। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा विधि आयोग की संस्तुति को shaky बुनियाद वाला बताकर टिप्पणी किया गया।

अभियान द्वारा किए गए लगातार प्रयास के बाद अब 22वें विधि आयोग ने पुनः समान नागरिक संहिता पर विचार करने की पहल किया है और देश के लोगों से सुझाव मांगे हैं।

अनुच्छेद 370 की समस्या केवल कश्मीर को बचाने की समस्या थी, किन्तु अनुच्छेद 44 के अनुक्रम में समान नागरिक संहिता न लागू होने की समस्या पूरे देश की समस्या है। इसलिए एक भारतीय होने के नाते इस अभियान में योगदान करना देशहित में आवश्यक है। मिशन द्वारा विधि आयोग के नाम एक व्यापक प्रत्यावेदन तैयार किया जा रहा है। 

यदि आप भी इसका हिस्सा बनना चाहते हैं, तो अपनी सहमति अवश्य लिखकर भेजें।