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यह पुस्तक समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट की तथ्यपरक विवेचना करता है और विधि आयोग के इस विचार कि वर्तमान में समान नागरिक संहिता अप्रासंगिक है, को गलत सिद्ध करता है।
यह पुस्तक पड़ताल करता है कि कैसे विधि आयोग की रिपोर्ट न केवल संविधान सभा के विचार और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ है, बल्कि संविधान के विभिन्न प्रावधानों की गलत व्याख्या पर आधारित है।
इस पुस्तक में पाया गया है कि अपने रिपोर्ट में विधि आयोग ने न केवल देश में बढ़ती जा रही धर्म-आधारित अलगाववादी मानसिकता की उपेक्षा की है, बल्कि कई जगह हिन्दू भावनाओं के खिलाफ टिप्पणी की है।
इस पुस्तक का विमोचन श्री केशरी नाथ त्रिपाठी, पूर्व राज्यपाल, पश्चिम बंगाल; न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता, न्यायमूर्ति आरएस मौर्य के कर कमलों से इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में 26 सितंबर 2019 को किया गया।