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23 नवम्बर 2018 को राष्ट्रीय स्वराज परिषद् द्वारा समान नागरिक संहिता दिवस का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायधीश जस्टिस विजय लक्ष्मी, जज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'लैंगिक न्याय व आर्थिक समानता' विषय पर हुए सेमिनार को संबोधितकरते हुए कहा कि सिविल संहिता को लागू करने का मतलब धार्मिक आस्था को चोट पहुचाना नही है, बल्कि सिविल विषय के संबंध में जो व्यक्तिगत कानूनो के मध्य विषमता है, उसे समाप्त करना है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. राजेन्द्र प्रसाद, कुलपति इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय ने कहा कि दुनिया के सभी आधुनिक व लोकतांत्रिक देश "सिविल संहिता" बनाकर आगे बढ़ रहे है और हम अभी भी इस विषय को लेकर उलझे हुये है। समय आ गया है। सिविल संहिता के माध्यम से सभी तरह के धर्म आधारित व लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त किया जाना आवश्यक है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो .सिद्धनाथ, विभागाध्यक्ष विधि संकाय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने कहा कि कोई भी प्रथा या कानून अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नही तर सकता। देश के लिए यूनिफार्म सिविल संहिता बनाया जाना बिलकुल संभव है। इसके लिए प्रतिबद्द होने की आवश्यकता है।