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9 जनवरी 2018 को दिल्ली में विधि आयोग से यूनिफार्म सिविल संहिता विषय पर "मिशन् आर्टिकिल 44 : एक राष्ट्र एक सिविल कानून" का सात सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल मिला। लगभग डेढ़ घंटे की मिटिंग बहुत संतोषजनक रहा। इस बात का संतोष हुआ कि बैठक के बाद विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान अब यूनिफार्म सिविल संहिता बनने को लेकर आशावादी दिखे।
प्रतिनिधि मंडल द्वारा विधि आयोग को मेमोरण्डम भी दिया गया। मेमोरेण्डम में न्यायमूर्ति चौहान के उस वक्तव्य को उद्धरित किया गया जिसमें कहा गया था कि देश में यूनिफार्म सिविल संहिता बनना सम्भव नही है और आयोग व्यक्तिगत कानूनों मे संशोधन के लिए सुझाव देगा, क्योकि व्यक्तिगत कानूनों को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है।
मेमोरेण्डम के माध्यम से 21 सिद्धान्तों को प्रस्तुत किया गया जिसके आधार पर यूनिफार्म सिविल संहिता बनाया जा सकता है। आयोग को बताया गया कि व्यक्तिगत कानूनों को कभी भी संवैधानिक संरक्षण प्राप्त नही है। संविधान सभा पहले ही धर्म आधारित व्यक्तिगत कानून को अधिकार मानने से इनकार कर चुकी है।
मिटिंग से बाहर निकलने के बाद प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य ग्यानेन्द्र श्रीवास्तव, नित्य प्रकाश तिवारी, मनोज सिंह, रामकृष्ण मिश्र, उमेश चन्द्र बरनवाल व सतीश सिंह के साथ।